प्यार बेशक में बयान नहीं कर पाया
पर तुझसे बेहद में करता था।
तेरी एक झलक के लिए भारी
बरसात में घंटों तक खड़ा रहता था।
पर शायद हमारी सोच अलग थी
तू प्यार समझ नहीं पाई
जो में जज़्बात में किया करता था।
जिसे बयान करना पड़े वह प्यार कहा
वो तो एक सरासर धोका था।
– word wizard
Rishabh mehta