तुम दिल बहलाने चले थे
हम तो घर बसा बैठे।
तुम छाव ढूंढने चले थे
हम आशियाना बना बैठे।
अगर साथ रहना ही नहीं था
हल्के से कान में बोल देते।
तुम खामखां बातो का बतंगड़ बना बैठे।
– word wizard
Rishabh mehta
तुम दिल बहलाने चले थे
हम तो घर बसा बैठे।
तुम छाव ढूंढने चले थे
हम आशियाना बना बैठे।
अगर साथ रहना ही नहीं था
हल्के से कान में बोल देते।
तुम खामखां बातो का बतंगड़ बना बैठे।
– word wizard
Rishabh mehta